नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कालबेलिया शिल्प पुनरुद्धार प्रोजेक्ट प्रदर्शनी की शुरुआत
राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के उत्थान के लिए अनूठा प्रयास।
जयपुर। राजस्थान का कालबेलिया समुदाय अपनी कला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है लेकिन उनके रोजगार के संसाधन सीमित होने और आर्थिक तंगी के कारण उनकी कला और शिल्प को बाजार तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शुरू हुई कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट Kalbelia Craft Revival Project प्रदर्शनी कालबेलिया समुदाय की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले हस्तशिल्प उत्पादों और विशेषकर कालबेलिया रजाईयां और गुदड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने का महत्वपूर्ण जरिया साबित होगी।
प्रदर्शनी के क्यूरेटर डॉ. मदन मीना Dr. Madan Meena ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना कोविड काल से विकसित हुई है जब राजस्थान के कालबेलिया के कई परिवार तालाबंदी के कारण अपने पैतृक गाँव लौट आए। अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले कालबेलिया कलाकारों का काम भी पर्यटन की सुस्ती के कारण ठप हो गया। ऎसे में उन्हें उनके गांव के भीतर वैकल्पिक आजीविका का अवसर प्रदान करने के लिए कोटा हेरिटेज सोसाइटी द्वारा कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट की परिकल्पना की गई थी। उन्होंने बताया कि इसे शुरू में निफ्ट-जोधपुर केंद्र और भारतीय शिल्प और डिजाइन संस्थान-जयपुर द्वारा अपने छात्रों को इंटर्नशिप प्रदान करने के लिए स्पॉन्सर किया गया था। बाद में कालबेलिया समुदाय के कलात्मक उत्पादों के परिणामों और सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को देखकर मुंबई स्थित आभूषण डिजाइनर गीतांजलि गोंधले ने कालबेलिया समुदाय की महिलाओं को उनकी रजाईयों की शिल्प परंपरा से सम्मानजनक आय प्राप्त करने के लिए धन जुटाया। वर्तमान में बूंदी और जयपुर की कालबेलिया महिलाएं इस परियोजना में काम कर रही हैं। इस परियोजना का उद्देश्य कालबेलिया समुदाय की रजाई बनाने की परंपरा को संरक्षित करना और उन्हें अपने समुदाय और उनके शिल्प के निर्वाह के लिए उनके गांवों के भीतर बेहतर आजीविका के लिए अवसर प्रदान करना है। मीना बताया कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कालबेलिया महिलाओं को विभिन्न कलात्मक उत्पाद बनाने के लिए प्रतिदिन 300 रुपए प्रति महिला दिया जाता हैं। इन महिलाओं को दिए जाने वाली इस धन राशि को विभिन्न श्रोतों से जुटाया जाता है तथा स्पॉन्सरशिप से भी धनराशि प्राप्त होती है। जिसका उपयोग इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा हैं। मीना ने बताया कि इस परियोजना में भाग लेने वाली कालबेलिया महिलाओं में जयपुर से मेवा सपेरा, बूंदी से मीरा बाई, लाड बाई, रेखा बाई, नट्टी बाई और बनिया बाई प्रमुख रूप से शामिल है।
कार्यक्रम में जयपुर से आई अंतरराष्ट्रीय ख्यातिनाम कालबेलिया गायक और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी मेवा सपेरा ने बताया कि कालबेलिया रजाई और उनकी गुणवत्ता घर की महिलाओं की समृद्धि, कौशल और प्रतिभा को दर्शाती है। एक परिवार रजाई के ढेर रखता है जो मेहमानों की यात्रा के दौरान बाहर निकाला जाता है। ये रजाईयां बेटियों को उपहार देने का हिस्सा होती हैं। उन्होंने बताया कि खाली समय में कालबेलिया समुदाय की महिलाएं अपने संग्रह के लिए हमेशा रजाई बनाती हैं। एक रजाई या गुदडी को पूरा होने में दो से तीन महीने का समय लगता है। अधिक जटिल लोगों को छह महीने तक की आवश्यकता हो सकती है। मेवा सपेरा ने कहा कि सरकार को हमारी आजीविका और हमारी कला को बचाने के लिए आगे आना चाहिए ताकि राजस्थान की कला और संस्कृति से जुड़े हुए इस महत्वपूर्ण कालबेलिया समुदाय को अपना सम्मानजनक जीवनयापन हो सके। परियोजना की देखरेख करने वाले डिजाइन इंटर्न रोशनी तिलवानी और अदिति कंथालिया (निफ्ट-जोधपुर), पल्लवी सिंह (आईआईसीडी-जयपुर) और अदिति मिश्रा (निफ्ट-कन्नूर) का कार्य सराहनीय रहा है। Rajasthan News