कड़ाणा विभाग की कार्यशेली पर सवालिया निशान : वाद दायर के आदेश के बाद भी विभाग ने ना वाद दायर किया गया और ना ही जाँच आगे बढ़ रही

कड़ाणा विभाग की बेशक़ीमती भूमि को कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से हड़पने का मामला 
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सागवाडा। कडाणा विभाग की बेशक़ीमती भूमि के मामले में शासन और प्रशासन की ढिलाई का पता इसी से लग रहा है की उक्त भूमि की रजिस्ट्री निरस्त कराने को लेकर कडाणा विभाग की ओर से कोर्ट में अभी तक वाद दायर नहीं किया गया है। 

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कड़ाणा विभाग की बेशक़ीमती भूमि को कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से हड़पने के प्रयास के मामले में  की जा रही जाँच आगे नहीं बढ़ पा रही है। इधर,  भूमि ख़रीदने व बेचने वाले भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं वहीं दूसरी ओर कडाणा विभाग की ओर से अभी तक रजिस्ट्री को लेकर किसी प्रकार का वाद कोर्ट में दायर नहीं किया गया है। मामले में देरी से ऐसा लग रहा है कि  राजस्व विभाग के अधिकारियों के ख़िलाफ़ चल रही जाँच भी ठंडे बस्ते में है। सागवाडा दौरे पर आए डूंगरपुर कलेक्टर इंद्रजीत सिंह यादव से जब कडाणा विभाग से जुड़े मामले पर सवाल किया गया तो उन्होंने भी यही कहा कि इस मामले में पुलिस भी जाँच कर रही है और राजस्व विभाग के अधिकारियों के ख़िलाफ़ डूंगरपुर सीईओ को जाँच दे रखी है। इधर,  जब कलेक्टर से पूछा गया कि कडाणा विभाग की ओर से रजिस्ट्री के संबंध में वाद दायर किया गया है या नहीं तो इस संबंध में कलेक्टर ने कहा कि इसकी जानकारी अभी मुझे नहीं है।

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इधर,  कडाणा विभाग के अधिकारियों से को जब इस मामले में जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में वक़ील कलेक्टर की ओर से नियुक्त किए जाने हैं जाने हैं जिसकी जानकारी अभी तक नहीं मिली है ऐसे में वाद दायर नहीं किया गया। राजस्व विभाग के एक आदेश पर सागवाडा में कडाणा विभाग की क़रीब 30 करोड़ की भूमि का न सिर्फ़ नामांतरण खोल दिया गया था बल्कि इसकी रजिस्ट्री भी कर दी गई थी। जब इस आदेश के फ़र्ज़ी होने की जानकारी मिली तो कलेक्टर के आदेश पर सागवाडा तहसीलदार मयूर शर्मा ने नामांतरण को निरस्त कर दिया था और कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से ज़मीन हड़पने के मामले में सागवाडा थाने में एफ़आइआर भी दर्ज कराई थी। इसके कुछ दिनों के बादडूंगरपुर कलेक्टर ने  तहसीलदार मयूर शर्मा, गिरदावर मुकेश भोई और पटवारी राकेश मकवाना को निलंबित कर इनके ख़िलाफ़ विभागीय जाँच के आदेश दिए थे। एफ़आइआर दर्ज होने के बाद से ही ज़मीन को ख़रीदने वाली और बेचने वाले अब तक पुलिस के हाथ नहीं लग पाए हैं। इधर, यह भी बताया जा रहा है कि पहले तो सिर्फ़ ख़रीदने और बेचने वाले ही फ़रार थे लेकिन पुलिस की दबिश के चलते अब परिवार वाले भी घर छोड़ चुके है। दो सप्ताह से अधिक का समय गुजरने के बाद भी कडाणा विभाग की ओर से रजिस्ट्री को लेकर कोर्ट में कोई वाद दायर नहीं किया गया है। 
 रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए कोर्ट में वाद दायर करने कलेक्टर से आदेश प्राप्त हुए थे। इसकी जानकारी विभाग के उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। हालाँकि इस मामले में कलेक्टर की ओर से वक़ील नियुक्त किया जाना है जिसकी प्रक्रिया अभी चल रही है। इसके बाद कोर्ट में वाद दायर किया जाएगा। 

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