गांगड़तलाई के विद्या निकेतन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का हुआ आयोजन
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही सभी समस्या का समाधान- विजयानंद
बांसवाडा | भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन और अतिथि परिचय के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। संघ के प्रांत प्रचारक विजयानन्द ने अतीत से लेकर वर्तमान तक के भारत की चर्चा करते हुए संघ स्थापना ओर संघ के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। संघ की स्थापना का उद्देश्य सनातन भारतीय हिन्दू संस्कृति व जीवन मूल्यों को संरक्षित, प्रसारित करना है। संघ का अपना कुछ नही है जो प्रान्त प्रचारक ने भारतीय संस्कृति को विकृत रूप के प्रस्तुत करने को सोंची समझी साजिश का हिस्सा बताया। अंग्रेजो ने फूट डालो और राज करो की कूटनीति को अपनाते हुए अपने शासनकाल के 200 वर्षो में हर स्तर से हिंदू संस्कृति को दूषित, खंडित करने का प्रयास किया। दुर्भाग्य से यह सिलसिला आजादी के बाद भी यथावत रहा जिसका प्रमुख कारण भारतीय संस्कृति के प्रति घृणा का भाव रखने वाली वामपंथी सोच थी। आजादी के बाद देश विरोधियों ने तत्कालीन सरकारी के वरदहस्त प्राप्त होने से शिक्षा जगत को अपने चुंगल के कस लिया। पाठ्य पुस्तको को हिंदुत्व के विरुद्ध छद्म युद्ध का साधन बना सनातन संस्कृति को विकृत कर के आजाद भारत में पढ़ाया गया। इतिहास की पुस्तकों को हथियार बना हमारी पवित्र संस्कृति को विकृत रूप में परोस दिया गया। यह स्पष्ट मत है कि जहा हिंदू घटा वहा देश बटा।
कलयुग में असुर वृत्ति के नाश हेतु संगठन ही सबसे बड़ी शक्ति है। संघ की स्थापना 1925 में सद् शक्तियों के संगठन और सनातन संस्कृति के रक्षण हेतु पूज्य हेडगेवार ने नागपुर में की।आज संघ अपने 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। निष्ठावान स्वयंसेवकों की त्याग और तपस्या के सुखद परिणाम हम देश समाज जीवन में देख पा रहें है। विश्व गुरु भारत का इतिहास बदल दिया गया और हमे विकृत इतिहास पढ़ाया गया। हमारे देश मे कभी गंदगी नही हुआ करती थी लेकिन आज की स्थिति है कि स्वछता अभियान चलाने पड़ रहे हैं use and throw के चलन से गंदगी के ढ़ेर लगे हुए हैं। लसी की उपयोगिता होने के बावजूद भी मनी प्लांट घर घर पहुँचा , जिसमें हमारी वनस्पति जाल नष्ट करने की योजना थी। आजादी के बाद तीन धर्म थे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई लेकिन बाद में सिख, जेन,बोद्ध मत पंथ बनाये अथार्त हमारे धर्म को तोड़ने का प्रयास किया गया। विवाह बंधन हमारे सात जन्मों की संकल्पना है , तलाक , सम्बन्ध-विच्छेद की कोई अवधारणा ही नही है। भगवान कृष्ण ने द्वापर में कहा था संघे शक्ति कलोयुगे यानी कलयुग में संगठन ही श्रेष्ठ है इसलिए आज सद शक्तियों को संगठित हो कर पूर्ण मनोयोग से तन मन धन सभी प्रकार से समाज राष्ट्र हेतु जुड़ना होगा। हमें षड्यंत्रकारियों और विधर्मियों को पहचान भारत के गौरवशाली अतीत को समाज के सामने लाकर युवा पीढ़ी ने निज संस्कृति धर्म के प्रति आत्म गौरव पुनः स्थापित करने के प्रयास करने होंगे |
भारत को विश्व गुरु बनाने हेतु स्वावलंबन और संस्कारवान युवा पीढ़ी तैयार करने का जोर दिया। उन्होंने समाज की सज्जन शक्ति को राष्ट्र निर्माण में सहयोग करने का आह्वान किया और कहा सज्जन शक्ति का मौन रहना दुर्जनो के कार्य को बढ़ावा देना है | प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि समाजसेवी सुखलाल सोलंकी ने बताया कि हमारे हिन्दू समाज को लोग प्रलोभन देकर तोड़ने का कार्य कर रहे है । हमे पूरी एकता, एकात्मता व सजकता से उनका सामना करना होगा एव उनके द्वारा प्रसारित कुचक्र को तोड़ना होगा। अपने धर्म का जागरण करे, धार्मिक आयोजन करे इसी से राष्ट्र जागरण होगा। यह जानकारी संघ के जिला प्रचार प्रमुख तुषार उपाध्याय ने दी।