धार्मिक महत्व : बेणेश्वर धाम बना राजनीति का प्रमुख केंद्र, किस तरफ होगा आदिवासी मतदाता का रुख
डूंगरपुर | दक्षिणी राजस्थान में जनजाति आस्था के प्रमुख केंद्र बेणेश्वर धाम चुनाव आते ही राजनीति का केंद्र भी बन जाता है। देश के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी या इससे पूर्व के बड़े नेता सभी को राजनीतिक पहलू से वागड़ खूब रास आता है। चुनाव महासमर में राजनीति कीा रोटियां सेंकने के लिए नेता बेणेश्वर धाम को वागड़ में पहली पसंद बनाते चले आए हैं।बांसवाड़ा-डूंगरपुर-प्रतापगढ़ व उदयपुर जिले से सबसे नजदीकी होने के कारण बेणेश्वर धाम राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मंच का रूप लेने लगा है। विगत कुछ वर्षों में यहां प्रमुख राजनीतिक दलों के केंद्र स्तरीय बड़े नेताओं की सभाएं हुई हैं।
बेणेश्वरधाम के विकास के नाम पर जनजाति वर्ग में अपने खोए जनाधार को पुनः पाने के लिये कांग्रेस पुल का शिलान्यास और सभा का आयोजन करा रही है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर की सीमा पर अवस्थित बेणेश्वर धाम पर 16 मई को राहुल गांधी की सभा और पुल का शिलान्यास होना है। इस राजनीतिक कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र में विकास का संदेश देने में कांग्रेस कितनी सफल होगी ये तो वक्त ही बताएंगे लेकिन राहुल गांधी की सभा से कांग्रेस राजनीतिक माहौल बनाने में जरूर सफल होगी।
वागड़ और मेवाड़ की जनजाति बहुल सीटों को साधने की तैयारी कांग्रेस पार्टी ने शुरू कर दी है। क्षेत्र में बीटीपी के बढ़ते प्रभाव के चलते कांग्रेस को होने वाले नुकसान का अंदाजा पार्टी के नेताओं को है, इसीलिए वे बेणेश्वर धाम पर राहुल गांधी की सभा कराकर न सिर्फ कांग्रेस माहौल बनाने का काम कर रही है बल्कि अपने आदिवासी नेताओं को भी बुस्ट करने का काम कर रही है। उदयपुर ट्राइबल संभाग है। यहां डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिले में 9 सीटों में से डूंगरपुर जिले की 2 सीटें बीटीपी के पास हैं। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में दोनों जिलों के अलावा प्रतापगढ़ और उदयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में बीटीपी की पैठ बढ़ती जा रही है। क्योंकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा की ही बात करें तो करीब 70 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं जो एक तरफ वोट कर सकते है।