संवेदनशील होने का दावा करने वाली सरकार ,अपने कर्मचारियों के प्रति हुई तानशाह

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राज्य सरकार यू तो आम जन एवम कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील होने का दावा करती है। परन्तु सरकार का रवैया देखकर लगता है कि सरकार नहीं चाहती कि आमजन के शिविरो में जनहित के कार्य हो, इसलिए बिना राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कोरे दिखावे के शिविर गांवो व शहरों में प्रारम्भ कर दिये। राजस्व सेवा परिषद द्वारा अपनी विभिन्न मांगों के सम्बंध में पूर्व में दिनाक 27 सिंतबर को उपखण्ड स्तर पर ज्ञापन सोंपा गया था एवं दिनांक 29 सिंतबर को राजस्व परिषद के प्रदेश के सभी साथियों द्वारा राजस्व मण्डल का घेराव कर राज्य सरकार को अपनी मांगे माने जाने के सम्बंध में चेतावनी दी थी। परंतु आज दिनांक तक सरकार द्वारा राजस्व सेवा परिषद की मांगों के सम्बंध में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गयी। इस सम्बन्ध में राजस्व सेवा परिषद प्रदेश कार्यकारिणी के निर्णय अनुसार आज दिनांक 2 अक्टूम्बर से पूरे प्रदेश में प्रारम्भ किये गए प्रशासन गांवो के संग एवं शहरों के संग अभियान का राजस्व विभाग के तहसीलदार , गिरदावर एवं पटवारियों ने बहिष्कार किया, साथ ही निर्णय लिया कि जब तक सरकार हमारी मांगे नही मानती है तब तक उक्त शिविरो का बहिष्कार यथावत जारी रहेगा।
राज्य सरकार के जनहित के बरसो से भूमि सम्बंधित समस्याओ के निवारण के लिए प्रारम्भ किये जा रहे अति महत्वाकांक्षी शिविरो में इस तरह से राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारीयो के नही आने से आम जन के काफी कार्य प्रभावित हुवे एवं आम जनता को शिविर से मिलने वाला लाभ नही मिल पायेगा। परिषद की मांगें माने बिना सरकार द्वारा शिविर लगाने की हठधर्मिता से प्रतित होता हे कि सरकार स्वयं ये चाहती हे की आमलोगों के कार्य नही हो ।
आज तहसील सागवाडा की टीम द्वारा तहसीलदार साहब सागवाडा के नेतृत्व में उपखण्ड मुख्यालय पर तहसील सागवाडा के समस्त गिरदावर एवम पटवारीयो द्वारा श्रीमान उपखण्ड अधिकारी महोदय सागवाडा को प्रशासन शहरों के संग एवम गांवो के संग शिविरों का बहिष्कार करने का ज्ञापन सौंपा साथ ही उपखण्ड मुख्यालय पर राजस्व सेवा परिषद के बाहर तले धरना प्रदर्शन किया।
ज्ञापन में राजस्व सेवा परिषद द्वारा बताया गया की अगर सरकार हमारी मांगे नही मानती है तो प्रशासन गांवो के संग एवम प्रशासन शहरों के संग अभियान का बहिष्कार यथावत रहेगा।
सरकार द्वारा राजस्व सेवा परिषद के साथ समय-समय पर हुवे समझौतों के अनुसार विभिन्न मांगों में
1. पटवारी, गिरदावर एव तहसीलदार के वेतन विसंगतिया दूर करना
2.3 जुलाई 2021 को पटवार संघ के साथ हुवे समझौते की पालना करना
3.नगर निकाय में पट्टो के पंजीयन का अधिकार उपपंजीयक के पास यथावत रखना।
4.नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित घोषित कर 100% पद्दोन्नति से भरना
5 .केडर के सभी स्ट्रेंथ में नवीन पदों का सृजन
6.कोटा संभाग की समस्या
7.स्पष्ट स्थानांतरण नीति

गौरतलब है कि राजस्व सेवा परिषद के घटके सदस्य पटवार संघ द्वारा गत 2 वर्ष से पटवारी हक यात्रा के तहत गांधीवादी तरीके से राज्य सरकार को अपने मांगो के सम्बंध में ज्ञापन दिए एवम विभिन्न स्तर पर प्रदर्शन किया। फरवरी माह में पटवार संघ द्वारा जयपुर में विशाल रैली आयोजित कर हजारो की संख्या में पटवारी राजधानी में इकट्टे हुवे।
उसके बाद पटवारियों द्वारा लगभग 2 महीने संभागवार शहीद स्मारक जयपुर पर धरना दिया गया। उसके बाद राज्य सरकार द्वारा पटवारियों से 3 जुलाई को समझौता हुवा।
पर आज दिनांक तक कुछ कार्यवाही नही की गई। वो भी सरकार की पटवारियों से नाइंसाफी है।
उक्त मांगो को लेकर ज्ञापन दिया गया एवम पेन डाउन किया गया
उक्त धरने के दौरान सागवाडा तहसीलदार मयूर शर्मा, गिरदावर संघ के जिला उपाध्यक्ष मुकेश भोई, यशपाल सिंह, दिनकर पाटीदार , देवेन्द्र सिंह, लक्ष्मीकांत भावसार, राजेश रोत, मुकेश परमार, नितेश शुक्ला, लालसिंह चौहान एवम पटवार संघ के अध्यक्ष मुकेश पाटीदार, विनय पुंजोत , राकेश मकवाना,दिलीप बुनकर,दिनेश सरपोटा, धर्मेंद्र जोशी, मुकेश, प्रीतम वखरिया, संतोष , विपिन, हर्षद,लोकेश, धर्मेंद्र,सुरेश कटारा, रिद्धि ,प्रियंका, जाग्रति ,लक्ष्मी सहित तहसील के सभी गिरदावर पटवारी धरने में उपस्थित रहे एवम शिविरों का बहिष्कार किया।

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