लीज पर लेकर बीटीपी बिकने वाली पार्टी नहीं, बीटीपी से जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वे ही पार्टी में करवा रहे भूचाल: प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा

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लीज पर लेकर बीटीपी बिकने वाली पार्टी नहीं, बीटीपी से जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वे ही पार्टी में करवा रहे भूचाल: प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा

डूंगरपुर। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) में घमासान मच गया है। पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को बीटीपी में शामिल करने के बाद से उपजा विवाद अब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पंहुच गया है। इसके बाद से पार्टी के शीर्ष नेता और स्थानीय पदाधिकारियों के बीच भी अब घमासान शुरू हो गया है। बीटीपी से डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोकसभा प्रत्याशी रहे और प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य रोत कांति भाई आदिवासी के सोश्यल मीडिया पोस्ट के मामला बढ़ गया है। कांति भाई आदिवासी ने राजस्थान में आये भूचाल के लिए केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हुए

प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी के आरोप लगाए थे। इस पर बीटीपी के राजस्थान प्रभारी रमेश भाई वसावा ने पलटवार किया है। रमेश भाई वसावा ने एक इंटरव्यू में रोत कांति भाई आदिवासी के सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में भूचाल उन लोगों में आया है जो इसके जिम्मेदार है। भूचाल लाने का प्रयास जो लोग कर रहे थे उन लोगों में ही अब भूचाल आ गया है, जबकि पार्टी या आदिवासी परिवार में कोई भूचाल नहीं है। पार्टी और आदिवासी परिवार आज भी अच्छी तरह से काम कर रहे है। पर कई स्वार्थी लोग कांति भाई रोत का बिना नाम लिए कहा कि उनका पैर कांग्रेस में रखते है और दूसरा पैर बीटीपी में रखते है।

प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा ने बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने के बयानों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि बीटीपी में रहते हुए वे लोग आज पार्टी को लीज पर लाने जैसे बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि लीज का मतलब किराए पर लाना होता है और कभी कोई पार्टी लीज पर नहीं मिलती। बीटीपी लीज पर या बिकने वाली पार्टी नहीं है। उन्होंने कहा कि लीज पर खान या खदान मिलती है, जहां से पत्थर, मार्बल जितना चाहे उतना निकालो ओर फिर खत्म हो जाये तो उसे छोड़ दो। वे स्वार्थी लोग इसी तरह पार्टी का इस्तेमाल कर रहे है, जिनका पार्टी की रीति-नीति से कोई लेना-देना नहीं है।

– जिसने सांसद का चुनाव लड़ा वहीं करवा रहा खेमेबाजी

बीटीपी के प्रदेश प्रभारी रमेश भाई वसावा ने बीटीपी में खेमेबाजी के लिए इशारों हो इशारों में रोत कांति भी आदिवासी को जिम्मेदार बताया। कांति भाई बीटीपी से लोकसभा क्षेत्र डूंगरपुर-बांसवाड़ा के प्रत्याशी भी रह चुके है। उन्होंने कहा कि बीटीपी राजस्थान में आदिवासियों की रक्षा के लिए, उनके हित-अधिकार के लिए, युवाओ का नेतृत्व मजबूत करने के लिए, नए नेतृत्व की खोज के काम कर रही है। आदिवासियों पर अत्याचार, एजुकेशन के खिलाफ लड़ रही है न कि पार्टी लीज पर है। उन्होंने कहा कि बीटीपी के लिए लीज शब्द का इस्तेमाल करने वाले स्वार्थी लोग है और उन लोगों को हमने देखा है। हमारी ही पार्टी में बीटीपी से सांसद का चुनाव भी लड़ चुके है। ( रोत कांति भाई आदिवासी) वे लोग ही गहलोत के पास समर्थन देने पंहुच गए थे। वे लोग बताएं कि क्यों गए थे और किसे लेकर गए थे। इससे साफ है कि पार्टी में खेमेबाजी करने वाले लोग कौन है। उनकी इन हरकतों को आज का युवा समझ चुका है। युवा अनपढ़ नहीं है। युवा सबकुछ देख रहा है और आज नहीं तो कल ये सभी के सामने आ जाएगा। इसकी चिंता की कोई बात नहीं है। पार्टी आदिवासियों के लिए है और कही कोई खेमेबाजी नही है।

केंद्रीय नेतृत्व पर खड़े किए थे सवाल

बीटीपी से सांसद प्रत्याशी रहे रोत कांति भाई आदिवासी ने फेसबूक पोस्ट कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने बीटीपी के प्रदेश निर्णय कमेटी की बिना सलाह मशविरा के पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने के साथ ही प्रदेश प्रवक्ता बनाये जाने पर भी सवाल खड़े किए। वहीं प्रदेश प्रभारी पर खेमेबाजी करने के भी आरोप लगाए थे। इससे दो दिन पहले बीटीपी के 6 नेताओ ने देवेंद्र कटारा को पार्टी में शामिल करने का विरोध करते हुए बीटीपी से नाता तोड़ लिया था। इन 6 नेताओं ( 2 जिला परिषद सदस्य, 3 पंचायत समिति सदस्य व 1 ब्लॉक अध्यक्ष) ने सोशल मीडिया पर बीटीपी को राजस्थान में लीज पर लाने का बयान पोस्ट किया था। इन बयानों को लेकर अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज दिखाई दे रहा है।

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