सीमलवाड़ा कस्बे में स्थित सीएचसी में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। अस्पताल का नया आलीशान भवन निर्माण होकर सेवाएं भी शुरू कर दी लेकिन अब भी क्षेत्र के मरीज मायूस नजर आ रहे हैं।
धोधरा निवासी दीपक पुत्र रतनलाल ननोमा जोकि अपनी बहन पारोल से मिलने सीमलवाड़ा आ रहा था कि राजपुर घाटी के पास सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना पर घायल की बहन व रिश्तेदार मौके पर पहुंच सीएचसी लेकर पहुंचे। मंगलवार देर शाम सवा सात बजे अस्पताल पहुंचने पर अस्पताल परिसर में अंधेरा नजर आया। अस्पताल में कोई भी डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ नही मिला। अस्पताल प्रभारी डॉक्टर कमलेश कटारा से मोबाइल से संपर्क करने पर बाहर होने व स्टाफ की व्यवस्था करने की बात कही। काफी देर तक कोई भी स्टाफ नहीं आने पर धंबोला पीएचसी में तैनात जोकि अभी निजी कार्यों से अवकाश पर चल रहे मेल नर्स कपिल कटारा ने तत्काल ही अस्पताल पहुंच गंभीर रूप से घायल दीपक का उपचार शुरू किया। मरीज को गंभीर चोंट आने पर टांके भी लिए। जिसके बाद डॉक्टर जिग्नेश कटारा पहुंचे।
इस दौरान समाजसेवी दिनपाल रोत द्वारा ड्यूटी पर कमलेश कटारा को कॉल कर हादसे की जानकारी दी। जिस पर डॉक्टर का बेतुका बयान सामने आया। जिसमें डॉ कमलेश कटारा द्वारा कहा गया कि मेरे द्वारा अस्पताल में मौजूद स्टाफ से बात कर ली गई है। जिस पर परिजनों ने कहा कि यहां पर कोई अन्य स्टाफ मौजूद नहीं है। जिस पर डॉक्टर ने फिर कहा कि हमारा भी परिवार है, 24 घंटे ड्यूटी करना हमारा कर्तव्य नहीं है। चाहो तो फांसी पर चढ़ा दो। साथ ही हिदायत देने लगे की पिछले काफी समय बाद सीमलवाडा में विशेषज्ञ टीम तैनात की हुई है, फिर भी आप जो चाहो कर लो।
काफी इंतजार के बाद हॉस्पिटल के एक अन्य डॉक्टर जिनकी उस समय में ड्यूटी नहीं थी, फिर भी परिजनों की मांग पर डॉक्टर जिग्नेश कटारा पहुंचकर मरीज की जांच आदि कार्रवाई की गई। सवाल यह है कि क्षेत्र का बडा सरकारी अस्पताल, जहां इलाज को लेकर मरीजों को मोहताज होना पड़ रहा है। क्षेत्र के अधिकांश मरीज गुजरात के अस्पतालों पर निर्भर है। सीमलवाड़ा सीएचसी का नया भवन बन गया फिर भी व्यवस्थाएं नही सुधर रही है। क्षेत्रीय विधायक राजकुमार रोत ने काफी प्रयास किए अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने की लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई हैं। सत्ताधारी पार्टी के संगठन पदाधिकारियों में आपसी कलह, तनाव, बेतुकी बयानबाजी से ही छुटकारा नही मिल रहा है। ऐसे में क्षेत्र के लोग अपना दुखड़ा किसको सुनाएं।