फलोज मे हुआ गवरी नृत्य

On

दोवडा पंचायत समिति के फलोज गांव में मेवाड़ का प्रसिद्ध गैर नृत्य का आयोजन किया गया मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादो माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे “राई नृत्य” के नाम से जाना  जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलों में गणपति काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा इत्यादि के खेल होते हैैं। इसमें शिव को “पुरिया” कहा जाता है। इस अवसर पर सरपंच रेखा देवी ननोमा सुरेश फलोजिया समाज सेवक दिनेश उपाध्याय देवीलाल पाटीदार महेंद्र ना नवा गौतम पाटीदार देवी लाल ननोमा सुरेश निनामा एवं फलोज एवं भागेला मसानिया के सभी ग्रामीण जन उपस्थित थे

Join Wagad Sandesh WhatsApp Group

Advertisement

Related Posts

Latest News

डूंगरपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियों की समीक्षा बैठक संपन्न डूंगरपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियों की समीक्षा बैठक संपन्न
डूंगरपुर। डूंगरपुर जिले में स्वतंत्रता दिवस समारोह को सफलतापूर्वक और सुनियोजित तरीके से आयोजित करने के उद्देश्य से जिला कलक्टर...

Advertisement

आज का ई - पेपर पढ़े

Advertisement

Advertisement

Contact Us

Latest News

Advertisement

वागड़ संदेश TV