बटेर पालन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पशुधन उत्पादन विभाग राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर द्वारा दक्षिणी राजस्थान के क्षेत्र में बटेर पालन की मूल्यांकन सुधार एवं लोकप्रिय करण योजना अंतर्गत डूंगरपुर के ग्राम ददोडीया मैं एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में निदेशक आयोजना एवं परीवेक्षण उदयपुर के डॉक्टर जे एल चौधरी बटेर पालन के बारे में विस्तार पूर्वक तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि बटेर के चिकन में आहार के रूप में उपयोग करने से शरीर को प्रोटीन की प्राप्त पूर्ति होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवं प्रचुर मात्रा में अमीनो अम्ल तथा विटामिन मिलता कोविड के समय में बटेर के सेवन से कोविड बचा जा सकता है बटेर के मांस में 25 पर्सेंट प्रोटीन की मात्रा मिलती है जबकि मुर्गी के मांस में 19 पर्सेंट प्रोटीन मिलता है जो हृदयाघात से बचाता है बटेर का सेवन करने से रक्तचाप की सामान्य रहता है पता विटामिन ए की प्रचुरता की वजह से आंखों की रोशनी भी सही रहती है साथी सो बटेर घर पर पालने से प्रत्येक किसान को प्रतिमा ₹2000 की अतिरिक्त राशि प्राप्त होती है बटेर को कम आर की आवश्यकता रहती है 1 किलोमीटर मांस के लिए 2 से ढाई किलो दाना की आवश्यकता होती है बटेर को कम जगह में रखकर पाला जा सकता है बटे 6 सप्ताह या 40 से 45 दिन बाद अंडे देना शुरू कर देता है जबकि मुर्गी 140 दिन में अंडे देना शुरू करती है उसका मांस अन्य मांस से स्वादिष्ट होता है बटेर कम लागत में हमारे लिए मांस अंडे की जरूरत पूरी करता है एवं बटेर पालन में किसान भाइयों को अधिक लाभ मिलता है बटेर में किसी प्रकार का रोग या बीमारी नहीं होती
इस अवसर पर केंद्र के कृषि मौसम विशेषज्ञ डॉ जीपी नारोलिया ने कृषि विज्ञान केंद्र पर संचालित इकाइयों के बारे में विस्तार से बताया साथ ही साथ समन्वित कृषि प्रणाली के बारे में बताते हुए जिले की कृषको कौन मुर्गी पालन के साथ बटेर पालन का अधिक आय अर्जित कर आज का में सुधार लाने हेतु प्रेरित किया
डॉक्टर जीवन लाल एवं मनोज बरांडा ने कृषको से चर्चा करते हुए बटेर पालन पर प्रायोगिक अनुभव साझा की इस कार्यक्रम में जितेंद्र सिंह कांतिलाल शिवलाल नरेंद्र पाल सिंह आदि प्रगतिशील पुरुष एवं महिला कृषक उपस्थित रहे परीक्षण के पश्चात डूंगरपुर जिले के ददोडीया मझोला उदयपुरा इंद्खैत पादरडी कनबा आदि गांव से 58 कृषको को बटेर पालन इकाई हेतु उन्नत किस्म के 20-20 चूजे एवं 10 किलोग्राम तैयार फील्ड प्रत्येक कृषक को निशुल्क उपलब्ध करवाएं