डूंगरपुर | खेलने-कूदने और पढ़ाई-लिखाई की छोटी सी उम्र में छत्तीसगढ़ निवासी बच्चियां 8 से 10 फ़ीट की ऊंची रस्सी पर चलकर इन दिनों डूंगरपुर जिले में मौत के खेल का करतब दिखा रही है। उनके करतब को देखकर हर कोई दांतो तले उंगली दबाने को भी मजबूर है। लेकिन पीढियों से चली आ रही इस परम्परा का निर्वहन करने वाली इन बच्चियों के करतब से ही उनका ओर परिवार का पेट भी पल रहा है।
डूंगरपुर शहर की सड़कों पर करतब दिखाए रही छोटी बच्चियों की उम्र महज 6 से 9 साल की है। इस उम्र बच्चियों के खेलने-कूदने ओर पढ़ने-लिखने की है लेकिन शिक्षा की डगर से दूर पापी पेट के लिए ये बच्चिया रस्सी पर मौत का खेल दिखाने को मजबूर है | बच्चियां रस्सी से मौत का खेल इतना बेहतर करती है कि देखने वाला भी दंग रह जाती है । जय कुमार राजनट ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के जांजगीर बेलहाडी गांव के रहने वाले है। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से रस्सी से मौत का झूला का करतब दिखाते है। बच्ची के 5 साल की होने के बाद ही उसे रस्सी पर चलने की ट्रेनिंग शुरू कर देते है।
2 महीने में रस्सी पर बैलेंसिंग के साथ करतब सीख लेती है और फिर टोली के साथ ही बच्चियां अलग-अलग राज्य, जिलों व गांवो में जाकर करतब दिखाते है। करतब दिखाने के बाद लोग खुश होकर जो कुछ देते है उसी से उनका ओर पूरे परिवार का पेट पलता है। जय कुमार राजनट ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राजनट परिवार में हर घर मे बच्चियां इस तरह के करतब दिखाती है। उनके रोजगार का भी यही एक माध्यम है। सरकार की ओर से भी कभी कोई मदद नहीं मिलती, जिस कारण यह काम छोड़ने की इच्छा होने के बाद भी नहीं छोड़ सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि पुरखो की यह कला आज भी जीवित है।