डूंगरपुर। कहते है प्रतिभाएं गांवों में छुपी है और इन्ही प्रतिभाओं तराशकर आगे लाने का बीड़ा उठाया है नेशनल तीरंदाज श्यामसुंदर ने। श्यामसुंदर ने नेशनल तीरंदाजी में कई बार हिस्सा लिया, लेकिन खुद को अच्छी कोचिंग नही मिल पाने की टीस हमेशा रही। यही टीस गांवों में छुपी दूसरी खेल प्रतिभाओं को नही रहे, इसलिए ऐसे अच्छे खिलाड़ियों को ट्रैंड करने में श्याम सुंदर जुट गए है।
नेशनल तीरंदाज श्याम सुंदर अंतराष्ट्रीय तीरंदाज लिंबाराम के चचेरे भाई है। उदयपुर के कोटड़ा के रहने वाले श्यामसुंदर पिछले कुछ समय से डूंगरपुर में खेल प्रतिभाओं को तराशने के साथ विभिन्न कुरूतियो के खिलाफ आदिवासी समाज को जागरूक करने के लिए काम कर रहे है। इसके लिए उन्होंने उनके पिता और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज लिंबाराम के पहले गुरु स्वर्गीय लच्छूराम अहारी से प्रेरणा लेकर जन जागरण संस्थान के नाम पर एक संस्था बनाई है। इसी संस्था के माध्यम से खुद खेल प्रतिभाओं को तराश रहे है। श्यामसुंदर खुद एक तीरंदाज है, लेकिन उनका कहना है की से केवल तीरंदाजी के खिलाड़ियों को ही नहीं बल्कि सभी खेलो में बच्चो को आगे लाना चाहते है। इसलिए तीरंदाजी से लेकर एथलेटिक्स, बालीबाल, फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट सहित सभी खेलो में खिलाड़ियों को ट्रैंड करेंगे। इसके लिए खिलाड़ियों को तराशने का काम कर रहे है।
पहले चरण में अलग अलग खेलो के 100 खिलाड़ियों का करेंगे चयन
श्याम सुन्दर ने कहा की इन खिलाड़ियों को चयनित करने के बाद ट्रेनिंग की सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। ऐसे में वे आदिवासी क्षेत्र के सभी पार्टियों के नेताओ से मिलकर खिलाड़ियों के लिए अच्छी ट्रेनिंग से लेकर पढ़ाई के इंतजाम को लेकर चर्चा करेंगे।
तीरंदाज श्यामसुंदर ने बताया की इस क्षेत्र के खिलाड़ी पीटी ऊषा बने, सानिया मिर्जा बने, सचिन तेंदुलकर बने और देश दुनिया में मेडल जीतकर डूंगरपुर का नाम रोशन करे यही टारगेट है। उन्होंने कहा की इस इलाके में खेलो में कई टेलेंट है लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नही मिलने से आगे नहीं आ पाती है। उन्ही के लिए अब आगे काम करना चाहते है।वही तीरंदाज श्याम सुंदर ने बताया की उनके द्वारा स्थापित किये गए जन जागरण संस्थान के द्वारा उन्होंने आदिवासी समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आमजन को जागरूक करने का भी बीड़ा उठाया ।