जहां मन पवित्र होता है वहां सभी कार्य बिना किसी रूकावट हो जाते है -आचार्य अनुभव सागर जी
सागवाड़ा। दिगंबर जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने जैन बोर्डिंग सागवाड़ा स्थित वात्सल्य सभागार में गुरुवार को धर्मसभा में कहा है कि कोई भी सच्चा साधु संत जादू टोना और मंत्र नहीं करता लेकिन संत जो काम कर सकता है वह कभी कोई जादूगर भी नहीं कर सकता है। जहां मन पवित्र होता है वहां सभी कार्य बिना किसी रूकावट के निश्चित तौर पर संपन्न हो जाते हैं ।मन में अगर पाप है तो तीर्थ स्थानों पर जाकर गंगा स्नान कर लेने से भी पाप नहीं धूलते और न ही पापों से छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि साधु संतो का मन निर्मल तथा पवित्र होता है और इसी से सभी काम सिद्ध हो जाते हैं।उन्होंने कहा कि पवित्र मन और स्वार्थ रहित सच्ची श्रद्धा से प्रभु स्मरण और गुरु का मार्गदर्शन पाकर जीवन का कल्याण हो सकता है लेकिन मिथ्यादृष्टि एवं लालच से कभी जीवन का उद्धार नहीं होता है।उन्होंने कहा है कि वादा करता है किनारे का मगर लहर देता है ।प्यार मोहब्बत धोखा है।लाख गम सुख का महज़ एक पहर देता है ।उम्र गुजरी तो यह एहसास होता है कि प्यार अमृत के बहाने जहर देता है । उन्होंने कहा है कि यही सांसारिक जीवन की एकदम कड़वी सच्चाई है लेकिन इसके विपरित अगर संत अरिहंत से प्यार हो तो वह कभी किसी भी स्थिति में साथ नहीं छोड़ते हैं।दुनियादारी के दिखावाे मे रिश्तो में स्वार्थ का बंधन जरूर होता है और जहां स्वार्थ पूरा नहीं हो वहा हर रिश्ता रिसता है।स्वार्थ रहित श्रद्धा से ही बहुत कुछ आत्मीय ज्ञान पाकर जीवन को कल्याण ये पथ पर आगे बढ़ाया जा सकता है ।उन्होंने कहा कि सफर में मुश्किल आई तो हिम्मत ओर बढ़ जाती है ।कोई जब राह रोके तो जरूरत और बढ़ जाती है,अगर बिकने पर आ जाओ तो दाम घट जाते हैं और न बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ जाती है।वास्तव मे मनुष्य को अपने मानवीय मूल्यों और क़ीमत को जानना होगा ।हर जीव का अपना स्वभाव होता है ।इंसान को अपने भाव तथा स्वभाव के अनुसार व्यवहार करते हुए सम्यक दर्शन की महत्ता के साथ आत्म कल्याण की ओर अग्रसर होना चाहिए।धर्मसभा में मंगलाचरण हेमल जैन ने प्रस्तुत किया।आचार्य का पाद प्रक्षालन का लाभ वास्तुविद आर .के .जैन परिवार मुम्बई ने प्राप्त किया।संचालन राजेन्द्र पंचोरी ने किया अतिथियो का स्वागत कीर्ति कुमार शाह ने किया।