भीलूडा में अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के पांच चातुर्मास मंगल कलशों की हुई स्थापना
सागवाडा। अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज व क्षुल्लक अनुश्रमण सागर महाराज का चातुर्मास मंगल कलश स्थापना समारोह श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर भीलूड़ा में आयोजित किया गया। इस दौरान पांच चातुर्मास मंगल कलशों की स्थापना की गई । समारोह में सर्वप्रथम आचार्य श्री अभिनंदन सागर महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर किया गया। जिसके बाद सुषमा जैन ने मंगलाचरण व प्रेरणा शाह महिला अध्यक्ष सागवाडा ने भजन प्रस्ततु किया ।
वही कार्यक्रम में दौरान वैभवी व दल, मेही व दीया जैन,नक्ष प्रशवी धयाना इशिका ग्रुप ने नृत्य प्रस्तुत किया। जैन मंदिर प्रांगण में आयोजित समारोह में अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के प्रथम चातुर्मास कलश की स्थापना कमलप्रकाश पन्नालाल भरड़ा । दूसरा कलश की स्थापना कमलेश नानूलाल शाह । तीसरा कलश की स्थापना जयवंत नथमल भरड़ा। चौथा कलश की स्थापना रमणलाल शकरलाल टुकावत। पांचवे कलश की स्थापना नरेन्द्र पन्नालाल भरड़ा ने की। पाद पक्षालन -प्रेरणा शाह व अनिता जैन सागवाडा ने किया। शास्त्र भेट भूपेन्द्र कोदरलाल भरड़ा व गुरुदेव की आरती का लाभ सुनंदा बहु मंडल भीलूड़ा ने लिया। अन्तर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज में धर्म सभा की संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में टेंशन आते ही रहता हूं एक टेंशन कम होती है तो वापस दूसरी टेंशन आ जाती है । टेंशन से दूर होने के लिए मानव की भूत और भविष्य की कल्पना में बजाए वर्तमान में जीना चाहिए । वर्तमान जो मिला है वह पर्याप्त है इसी भावना से जीवन को जीना चाहिए तभी टेंशन मुक्त हो सकता है । आप गुलाब जामुन खा रहे हो और सामने से बैल आ रहा हो तो क्या गुलाब जामुन का स्वाद आएगा नही आएगा ना वैसे ही जो मनुष्य वर्तमान की परिस्थिति न लड़कर भूत और भविष्य की कल्पनाओं में जीना चाहता है वह कभी भी वर्तमान में सुख का अनुभव नही कर सकता है । टेंशन में व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है । जब सीता को जंगल में छोड़ा गया उस समय सीता विपरीत परिस्थिति में थी पर उनसे वर्तमान के दुखों को कर्म का फल मानकर उससे लड़ा और दो पुत्रों को जन्म दिया । राम भी जब जंगल मे गए तो कुछ नही था उन्होंने में भी अपनी उस परिस्थिति से संघर्ष किया तो क्या हुआ उन्होंने जंगल मे भी सब को अपना बना लिया और रावण पर भी विजय प्राप्त की यही है । टेंशन से व्यक्ति कभी खुश नही हो सकता है जिसके कारण से टेंशन आ रहा उस परिस्थिति से लड़ने वाला ही सुखी हो सकता है ।
कार्यक्रम के आए अतिथियों का स्वागत समाज द्वारा किया गया । संचालन धर्मेन्द्र जैन ने किया । अक्षत जैन व शास्त्री सुमित जैन ने सहयोग किया। वहीं समारोह के अंत मे महा प्रसाद का आयोजन हुआ। इस अवसर पर कान्तिलाल भरड़ा , जयन्तिलाल भरड़ा, ओमप्रकाश भरड़ा , चेतनलाल भरड़ा , हितेश शाह, कमल प्रकाश, धर्मेंद्र जैन भरड़ा, जयन्त भरड़ा, मोहित जैन, ललित जैन ,भावेश जैन, मांगीलाल जैन, जय प्रकाश भरड़ा, भूपेंद्र जैन, शेलेन्द्र जैन, मुकेश तलाटी, सुरेंद्र शाह, जिनेश जैन ,बसन्तलाल जैन, रवि जैन ,हितेश भरड़ा , चद्रप्रकाश शाह,अमित टुकावत, विक्रान्त जैन, श्रीपाल शाह सहित आस पास के गांवों से के समाजजन मौजूद रहे।
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