लाखों रुपयों की गौरव पथ सड़क व नालियों का हाल बेहाल,नालियों व सडक पर उग आई घास,साफ सफाई को लेकर ग्राम पंचायत बनी लापरवाह
पाड़वाll गांवो को स्वच्छ एवं सुंदर रखने के लिए स्वच्छता भारत मिशन अभियान जैसे कई छोटे-मोटे स्वच्छता अभियान के जरिए गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने की कवायदे चालाई जाती है।वही दूसरी तरफ सही मायने में गांवो की तरफ रुख किया जाए तो इस अभियानों की खुलेआम माखौल उड़ाते हुए धज्जियां उड़ाई जा रही है जहां पर स्वच्छता भारत मिशन जैसे अभियानो की जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है। हम बात कर रहे हैं सागवाड़ा ब्लॉक के ओड गांव की जहां पर दो मुख्य सड़के जिसमें पहली मेन बस्टेण्ड से घाटी फलां से चोराहे तक व दुसरी चोराहे से बडगी फलां सड़क जहां इन दोनों मुख्य सड़कों व नालियों पर घास उग आई है। जबकि यह वही सड़क है जहां वर्ष 2017 मे गौरव पथ सड़क व नाली निर्माण को लेकर पूरे 60 लाख रुपए खर्च हुए हैं। वही एक तरफ पीडब्ल्यूडी गौरव पथ सड़क और नाली निर्माण करवाकर इतिश्री कर चुका है। वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायत इस सड़क एवं नालीयो के रख रखाव को लेकर पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रही है। जिसकी वजह से लाखों रुपए का बजट खर्च कर हुए काम पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है जिससे ना तो गौरव पथ सड़क सुरक्षित है ना ही गौरव पथ की नालियां। वही जब 2017 गौरवपथ का काम शुरू हुआ तो सारा काम ग्राम पंचायत की निगरानी में ही शुरू हुआ था पर यहां पर ग्राम पंचायत द्वारा इसकी सही तरह से मानीटरीग नही की जिसकी वजह आज भी पानी निकासी सबसे बड़ी समस्या है वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायत इन्हीं नालियों पर बार-बार तोड़फोड़ करते हुए सरकारी बजट का दुरुपयोग कर रहे हैं जिसका सही मायने में आमजन को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
सड़क व नालियों की साफ सफाई नहीं होने की वजह से उग आई है घास
वही ग्राम पंचायत द्वारा साफ-सफाई को लेकर कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसकी वजह से गांव की अब तक की सबसे महंगी सड़क और नालियों का हाल बेहाल है। जिसकी वजह से दिन प्रतिदिन गंदगी जमा होते होते नालियों व सड़कों पर घास तक उग आई है।
जिम्मेदारो ने ठहराया सफाई कर्मी को दोषी
वहीं गांव मे सफाई को लेकर जब कभी भी सरपंच या ग्राम विकास अधिकारी से बात की जाती है तो वे हर बार सफाईकर्मी को दोषी ठहराते हुए खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ देते हैं जबकि हकीकत मे ओड गांव में सफाई को लेकर ना तो सफाई कर्मी ध्यान दे रहे हैं ना ही जिम्मेदार। जिससे नियमित सफाई नहीं होने पर मौसमी बीमारी व डेंगू जैसे गंभीर बीमारी कि चपेट में आने का डर फेल रहा है।
वही सफाई कर्मी दीपक हरिजन का कहना है कि गांव में सफाई करने के लिए बाहर से लेबर बुलाने पड़ते हैं इसलिए ग्राम पंचायत द्वारा मुझे जो मेहनताना राशि दी जाती है वह कम पड़ती है साथ ही मेरे दो-तीन महीनों का पगार भी नहीं दिया है।
वही ग्राम विकास अधिकारी का कहना है कि सफाई कर्मी का दो माह पगार बकाया है। वही सफाई कर्मी ने दो माह से गांव की सफाई नहीं की है व सफाई को लेकर वह हमेशा लापरवाही रखता है। इसलिए ग्राम पंचायत द्वारा बहुत जल्दी ही दूसरा सफाई कर्मी लगाने की तैयारी चल रही है।