अन्तर्मुखी की मौन साधना का 28वां दिन
बुधवार, 1 सितम्बर, 2021 भीलूड़ा
मुनि पूज्य सागर की डायरी से…..
मौन साधना का 28वां दिन। हर इंसान के देखने, बोलने और सोचने का तरीका अलग होता है। इसीलए हर बात के दो अर्थ निकलते हैं- एक अच्छा तो दूसरा बुरा। जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार हर बात के दो पहलू होते हैं। एक अच्छा तो दूसरा बुरा। अच्छी मानसिकता वाला इंसान हर बात का अच्छा अर्थ निकालेगा और बुरा इंसान हर बात का बुरा मतलब निकालेगा। इसी से इंसान की मानसिकता का पता चल जाता है। किसी भी बात को बोलने, देखने और सोचने से पहले सकारात्मक दृष्टि से सोचना चाहिए कि इंसान ने किस प्रयोजन से यह बात कही है।
राम को दशरथ ने अपनी बात बताई। राम ने निर्णय निकाल लिया कि मुझे वन जाना होगा तभी तो पिताश्री का वचन निभ पाएगा। दूसरा अर्थ यह भी तो हो सकता था कि पिता ने मुझे वन जाने को कह दिया। अच्छा पहलू निकलने से आपस में वात्सल्य बढ़ता है।
कुछ वाक्यों पर विचार करते हैं। आओ, उदाहरण के तौर पर देखते हैं- दुकान में इंसान ने आग लगा दी। दुकान में गलती से इंसान से आग लग गई। दोनों वाक्यों में आग लगाने की बात है। पर एक में, हम किसी को दोषी नहीं मान रहे है और दूसरे में दोषी मान रहे हैं। किसी ने कहा, तुम्हें जयपुर जाना हैं, यह एक वाक्य है। कोई इसका अर्थ निकालता है कि मुझे साथ में नही रखना चाहते हैं और दूसरा कोई अर्थ निकालता है कि वह मुझे आगे बढ़ाना चाहते हैं, इसीलए तो मुझ पर विश्वास कर जयपुर भेज रहे हैं। एक पेड़ पर आम लगे थे। बहुत सारे बच्चे पत्थर फेककर आम तोड़ रहे थे। उधर से दो मित्र निकले। एक तो यह सोचता है देखो, पत्थर खाने के बाद भी पेड़ आम दे रहा है और दूसरा सोचता है कि पत्थर खाने के बाद आम दे रहा है। हम स्वयं ही अपने देखने, बोलने और सोचने के तरीके से अपनी मानसिकता का पता लगा सकते हैं। सकारात्मक पहलू आत्मिक शक्ति बढ़ता है जबकि नकारात्मक पहलू आत्मिक शक्ति को कम करता है।