बेटीयों ने दिया बाप की अर्थी को कंधा

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ओबरी। लड़कियों को लेकर अब समाज में सोच बदलती जा रही है। पुत्र प्रधान समाज में लड़कियां नए-नए कार्य कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। खेल का मैदान हो या फिर माता-पिता की सेवा का कार्य हो वह किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहती। ऐसा ही एक मामला वरदा गांव में देखने को मिला। वरदा निवासी आजाद भाटिया उम्र 55 वर्ष के कोई पुत्र नहीं है। उनके मात्र तीन पुत्रियां है। जिसमें सबसे बड़ी पुत्री निशा, दूसरी रितु एवं सबसे छोटी पुत्री का नाम पायल है। साथ ही तीनो पुत्रियों की शादी हो चुकी है। आजाद भाटिया लगभग 30 साल से खाड़ी देश कुवैत में कार्यरत थे। जिनकी सोमवार 10 अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। कुवैत में आवश्यक कार्यवाही के बाद उनका शव शुक्रवार 13 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव में पहुँचा। गमगीन माहौल में तीनों पुत्रियों व जमाई ने उनकी अर्थी को कंधा देकर पुत्र वाले सारे कर्मकांड पूरे किए।

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