शौर्यवान व साहसी नाम से कमलेन्द्रसिंह को नवाजा
शौर्य और वीरता को देखने उमड़े लोग, सामाजिक समरसता और भाईचारे की एक अनूठी मिसाल फूतरा पंचमी
ओबरी (डूंगरपुर)। मेवाड और वागड़ में होली पर्व का अपना ही एक अलग महत्व है। धूलण्डी के बाद से ही लगभग 15 दिनों तक इस रंग पर्व को यहां अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है। मेवाड जहां अपने फूल डोल उत्सव के लिए जाना जाता है, तो वहीं वागड़ अपनी पत्थरों की राड़ और फूतरा पंचमी के लिए जाना जाता है। इसी प्रकार ओबरी कस्बे में होली के पांचवे दिन खेले जाने वाले खेल जिसे स्थानीय भाषा में फूतरा पंचमी (रंगपंचमी) के नाम से जाना जाता है। जिसमें युवा खजूर के पेड़ के आखिरी छोर पर बंधे श्वेत सफेद कपड़े को उतारने का प्रयास करते है। इस खेल के जरिए अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए सैकडों युवा इसमें शामिल हुए। इतना ही नहीं यह खेल इस क्षेत्र में सामाजिक समरसता और भाईचारे की एक अनूठी मिसाल है।
डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर ओबरी कस्बे में यह खेल सैकडों वर्षो से खेला जा रहा है। परंपरा के अनुसार यह खेल होली के पांचवे दिन पंचमी शनिवार को आयोजित हुआ। ओबरी में वर्षो से होने वाली इस प्रथा को लेकर राजपूत, ब्राह्मण, पाटीदार अन्य समाज के युवा फूतरा उतारने के इस नायाब खेल को काफी उत्साह और जोश से खेलने के लिए बस स्टेण्ड बाजार में एकत्र हुए। जहां लोगों के जमा होने के बाद वह राजपूत चौराहे पर आए और बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में खेल के लिए दो दल बनाए बनाए गए। पहला राजपूत समाज के लोगों का आक्रमण दल व दूसरा ब्राह्मण, पाटीदार समाज के लोगों का रक्षक दल। सभी समाज द्वारा दोनों दलों को तिलक लगाया गया। जिसके बाद दोनों दल ढोल नगाड़ों की थाप पर जय राम श्रीराम जय जय राम के नारों के साथ एक-एक करके माताजी मंदिर रोड़ स्थित उस खजूर के पेड़ के पास पहुंचे जहां पहले से ही श्वेत कपड़ा बंधा हुआ था। जहां इन दोनों दलों के बीच फूतरा उतारने का मुकाबला हुआ। जिसमें आक्रमण दल के युवा पेड़ पर चढ़ कर फूतरा उतारने की कोशिश की। तो वहीं दूसरी और रक्षक दल के युवा उन्हें रोकने की कोशिश करते रहे। बड़ी मशक्कत के बाद आक्रमण दल के सदस्य गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद भी छब्बीस वर्षीय कमलेन्द्रसिंह पुत्र तेजसिंह चौहान ने खजूर के पेड़ पर बंधे श्वेत कपडे को उतारने में सफलता हांसिल की। फूतरा उतारने वाले साहसी युवक कमलेन्द्रसिंह का ग्रामीणों द्वारा पूरे कस्बे में जुलूस निकाला गया। बाद में जुलूस राजपूत चौराहे पर पहुंचा। जहां कस्बेवासी व समाज के लोगों द्वारा फूतरा उतारने वाले कमलेन्द्रसिंह को शौर्यवान व साहसी नाम से नवाजा गया है। साथ ही तिलक लगाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सुरक्षा को लेकर हेड कास्टेबल मानशंकर डामोर, कास्टेबल कन्हैयालाल, मुकेश कुमार सहित दल के साथ मौजूद रहा। इस अवसर पर सर्व समाज के लोग मौजूद रहे।