सागवाड़ा। जीवन में हमेशा सत्य बोलने वाले व सद्कर्म करने वालों पर ही ईश्वर की कृपा होती है। यह बात कथा मर्मज्ञ पंडित लोकेश भट्ट ने सरोदा में चल रही शिवपुराण कथा के छठे दिन कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा असत्य से बढ कर कोई पाप नही। मानव मात्र को सत्य के पथ चलते हुए सद कर्म में प्रवृत होना चाहिए। अनैतिक तरीके धन संग्रह की प्रवृत्ति नही होनी चाहिए। अंत:करण की आवाज के अनुसार ही करणीय कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मन को शुद्ध करो परमेश्वर का वास वही पर है साथ ही वाणी संयम पर विशेष बल देना अति आवश्यक है। मानव को मितभाषी व मृदुभाषी होना चाहिए। भट्ट ने कहा कि आकांक्षा व अपेक्षाएं ही दु:ख का मूल कारण है। मन को संयमित करते हुए इन पर विजय प्राप्त की जा सकती है। पंच कर्मेंद्रियां ,पंच ज्ञानेंद्रियां का मूल मन होता है। मनुष्य मनो निग्रह कर जीवन पथ प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि शिव कथा के रहस्य को आत्मसात कर मनुष्य कैवल्य के मार्ग पर आरुढ हो सकता है। भागवत गंगा में अवगाहन करने से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते है। उन्होंने कहा कि शिव पुराण में पीपल, वटवृक्ष, बिल्व पत्र पितृ सदृश बताया है। इनके पूजन से पितृ तृप्ति होती है। उन्होंने पितृ दोष के लक्षण बताते हुए कहा कि नींद नही आना, वंश अभिवृद्धि न होना, विवाद कलह का उत्पन्न होना पितृदोष माना जाता है।
कथा से पूर्व कथा मर्मज्ञ लोकेश महाराज का तिलक व माल्यार्पण से मुख्य यजमान देवी लाल पाठक, सुनील पाठक ने तिलक माल्यार्पण से स्वागत किया। ललिता शंकर पाठक, लोकेश रावल, विद्या शंकर पाठक व परिवार जनों ने व्यास पीठ का पूजन किया। इस अवसर पर जयंत पाठक, हरीश पण्ड्या, शिवशंकर, राजन त्रिवेदी, हेमेंद्र उपाध्याय, जगदीश शुक्ला, प्रदीप पाठक, जगदीश व्यास, हिमांशु उपाध्याय, रमेश उपाध्याय, प्रमोद पाठक, पंकज उपाध्याय सहित कई महिलाएं मौजूद रही। संचालन चार्वी पाठक ने व आभार साक्षी व्यास ने ज्ञापित किया।