- डूंगरपुर-असारवा रेल सेवा शुरू होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने उठाएं सवाल
- डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना क्यों बंद कर दी
- डूंगरपुर-अहमदाबाद रेल सेवा वागड़ अंचल के लिए नहीं है उपयोगी
- निजी बस संचालकों के दबाव में रेल संचालन का समय गलत रखा
- आने वाले समय में दो बड़े चुनाव, इसलिए जनता को फिर गुमराह कर रहे भाजपा के लोग
डूंगरपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं निवर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया ने शनिवार को बयान जारी कर डूंगरपुर-असारवा (अहमदाबाद) रेल सेवा शुरू होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। खोड़निया ने कहा है कि डूंगरपुर की रेल का शुभारंभ वागड़वासियों के साथ छलावा मात्र है। भाजपा की केंद्र सरकार और भाजपा के लोगों ने डूंगरपुर से असारवा तक रेल सेवा शुरू होने पर केवल झूठा श्रेय और वाहवाही बटोरने का षडयंत्र किया है। रेल सेवा किसी भी मायने में वागड़वासियों के लिए उपयोगी नहीं है। खोड़निया ने कहा कि डूंगरपुर से असारवा तक रेल सेवा निर्धारित समय में शुरू नहीं हो पाई है। डूंगरपुर से उदयपुर तक का काम अब भी अधूरा है। आने वाले समय में दो बड़े चुनाव है, ऐसे में भाजपा की केंद्र सरकार और भाजपा के लोगों ने आनन-फानन में रेल शुरू कर जनता को गुमराह करने का खेल खेला है।
रेल सेवा के शुभारंभ में जुटे चार सांसदो से खोड़निया ने सवाल किए है कि तत्कालीन यूपीए सरकार में वर्ष २०११ में डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया था। केंद्र की सत्ता में भाजपा के काबिज होने के बाद इस महत्वपूर्ण परियोजना को षडयंत्रपूर्वक बंद कर दिया गया। वागड़ से संसद तक प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद जवाब दें कि वागड़ की रेल परियोजना को क्यों ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। खोड़निया ने कहा कि दोपहर में डूंगरपुर से रेल रवाना होने का समय तय किया गया है। मध्यान्ह में रेल सेवा का वागड़ क्षेत्र के लोगों को कैसे लाभ मिलेगा। वागड़ क्षेत्र का व्यापारी और आमजन सुबह सवेरे अपने काम को लेकर गुजरात के अहमदाबाद, हिम्मतनगर जाता है और काम निपटाकर शाम तक घर लौट आता है। रेल के प्रस्थान और आगमन का समय जनउपयोगी नहीं है। खोड़निया ने बड़ा आरोप लगाया और कहा कि भाजपा नेताओं ने निजी बस ट्रावेल्स संचालको के दबाव में आकर रेल का समय दोपहर में रखवाया है।
भाजपा के नेता जनउपयोगी समय तय कराएं
खोड़निया ने कहा कि सुबह ९.३० बजे असारवा से रवाना होकर रेल दोपहर २ बजे डूंगरपुर पहुंचेगी और दोपहर दो बजे रवाना होकर शाम ७ बजे असारवा पहुंचेगी। आगमन और रवानगी का वक्त वागड़ के लोगों के लिए उपयोगी नहीं है। रेल का श्रेय लेने वाले भाजपा के नेताओं के चाहिए कि वागड़वासियों की भावना के अनुरूप रेल संचालन का समय इस तरह निर्धारित कराया जाएं कि यहां के लोग सुबह रवान होकर अहमदाबाद पहुंचे और वहां काम निपटा कर देर शाम तक घर लौटें। खोड़निया ने कहा कि अहमदाबाद से दो किलोमीटर पहले स्टेशन तक रेल पहुंचेगी। वागड़ के व्यक्ति को सौ रूपया देकर ऑटोरिक्शा से अहमदाबाद शहर तक जाना होगा। वागड़ के आम और गरीब व्यक्ति पर आर्थिक भार पडेगा।
श्रेय लेने की होड़, रेल परियोजना पर क्यों सील गए होंठ
खोड़निया ने आरोप लगाते हुए कहा कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा की महत्वपूर्ण रेल परियोजना को भाजपा की केंद्र सरकार ने बंद कर दिया। केवल राजनीतिक द्वेषतावश इस परियोजना पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। भाजपा के स्थानीय लोग और नेता इसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार से सवाल क्यों नहीं कर रहे। डूंगरपुर जिले में तीन-तीन भाजपा के सांसद प्रतिनिधित्व करते है, लेकिन बड़ी परियोजना के लिए क्यूं ठोस पैरवी नहीं की जा रही। वागड़ के विकास की जीवनरेखा मानी जाने वाले परियोजना पर भाजपा नेताओं के होंठ क्यों सील गए है।
चार साल देरी से शुरू हुई रेल
खोड़निया ने कहा कि तत्कालीन यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने रेल परियोजना का शिलान्यास करते हुए अहमदाबाद-उदयपुर वाया डूंगरपुर आमान परिवर्तन की घोषणा की थी। आमान परिवर्तन का कार्य भी शुरू हो चुका था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इस काम में जानबुझकर देरी की। खोड़निया ने कहा कि वागड़ की लाईफलाईन मानी जाने वाली रेल परियोजना का गला घोंटकर भाजपा के लोग अधूरे आमान परिवर्तन पर झूठा श्रेय हथिया रहे है। उन्होंने कहा कि आमान परिवर्तन में देरी पर भाजपा जवाब दें। आमान परिवर्तन का कार्य तो चार साल पूर्व पूरा हो जाना चाहिए था। छोटी लाईन को हटाकर बड़ी लाईन डालने में भाजपा की सरकार ने चार साल बिगाड़ दिये और अब भी डूंगरपुर से उदयपुर तक का काम पूरा नहीं होना भाजपा नेताओं की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।