गायत्री महामंत्र का सतत स्मरण जप करने से परमार्थ का मार्ग उदित होता है सत्कर्म करने की प्रवृत्ति बढ़ती है जिससे प्रेम एवं आत्मीयता का विस्तार होता

On

परम भागवतकार श्रीधर स्वामी जी ने भागवत जी पर टीका करते समय एक अदभुत बात कही है। संसार में सब हमारे मित्र बन जाये यह किन्चित सम्भव नहीं है लेकिन कोई हमारा शत्रु ना बनें, यह प्रयास किया जा सकता है।

          हमारे मुख से सबके लिए प्रशंसा के शब्द ना निकलें कोई बात नहीं, पर हमारे मुख से किसी की निंदा ना हो। यह तो किया जा सकता है। आप किसी को अपनी थाली में से रोटी निकालकर नहीं खिला सकते तो किसी के निवाले को छीनने वाले भी ना बनो।

           अगर हमसे पुण्य नहीं बनें तो पाप ना हो, ऐसा प्रयत्न जरूर करें। आप सत्य नहीं बोल सकते तो असत्य ना बोलने का संकल्प लें। भगवद अनुग्रह प्राप्त करने की प्रथम शर्त है पापमुक्त जीवन से जापयुक्त हो जाना। विकार से विचार की यात्रा , विषय से वसुदेव के मार्ग पर चलने वाला ही सत्य की अनुभूति कर सकता है।

गायत्री महामंत्र का सतत स्मरण जप करने से पुण्य मार्ग का उदय होता है पाप का नाश होता है

Join Wagad Sandesh WhatsApp Group

Advertisement

Related Posts

Latest News

पर्यावरण संरक्षण : गामडा ब्राह्मणीया में 1356 पौधे लगाने का लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण : गामडा ब्राह्मणीया में 1356 पौधे लगाने का लक्ष्य
सागवाड़ा | जिला कलेक्टर एवं मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डूंगरपुर के आदेशानुसार सघन वृक्षारोपण अभियान की तैयारी के तहत पीईईओ...

Advertisement

आज का ई - पेपर पढ़े

Advertisement

Advertisement

Contact Us

Latest News

Advertisement

वागड़ संदेश TV