ओबारी।। पुष्पदंतनाथ भगवान का मोक्ष कल्याण मनाया। दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण महापर्व
ओबरी। कस्बे के श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि वेराग्यसागर व स्वयंभूसागर के सान्निध्य में दस दिवसीय पर्वराज पर्युषण महापर्व के तहत चौथे दिन सोमवार को उत्तम शौच धर्म की आराधना श्रद्धालुओं ने की। सुबह मूलनायक भगवान आदिनाथ, भगवान पाश्र्वनाथ व चौबीस तीर्थंकर की प्रतिमा का वृहत पंचामृत जिनाभिषेक व शांतिधार कान्तिलाल चिमनलाल संघवी परिवार ने की। भारतवर्षीय 18 हजार दशा हुमड़ दिगम्बर जैन समाज के प्रवक्ता मुकुल भुता ने बताया कि विमल सन्मति स्वाध्याय भवन में ब्रह्मचारी उषादीदी के निर्देश में तीर्थराज सम्मेदशिखर सिद्ध क्षेत्र की रचना कर 24 टोंक बनाए। इन 24 टोको पर बोली से चयनित 24 इन्द्र इंद्राणी ने तीर्थराज सम्मेद शिखर की पूजा भक्ति गीतों की मधुर स्वर लहरियों के साथ कर श्रीफलो के अध्र्य चढ़ाए। सोमवार को नववें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ भगवान का मोक्ष कल्याण दिवस होने पर इनकी टोंक पर 11 मोदक सुरेंद्र संघवी परिवार ने चढ़ाया। इधर, आंतरी के श्रेयांसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान मुनि अनुसरण सागर महाराज ने सोमवार को उत्तम शौच धर्म के दिन आंतरी जैन समाज को संबोधित करते हुए कहां कि जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए स्वच्छता व सफाई जरूरी है। इसी सफाई का नाम शौच धर्म है शुद्धता के भाव को शौच कहां है आत्मा की विशुद्धि के लिए चित्त्त की निर्मलता अत्यंत जरूरी है, स्वछता आंतरिक होनी चाहिए तन की शुद्धि से बड़ी मन की शुद्धि है। जैसे हम तन को शुद्ध कर लेते हैं काश एक बार में अपने मन को शुद्ध करने का प्रयास करे, तो हमारे जीवन मे भी उत्तम शौच धर्म प्रकट हो सकता है, जिस प्रकार कोयले को कितना भी घिसा जाए वह कभी सफेद नहीं होता लेकिन यदि उसको अग्नि में तपा दिया जाए तो वहां शुद्ध सफेद हो जाता है। इससे पहले सुबह पर जिनमंदिर में भगवान श्रेयांसनाथ, कलिकुण्ड पाश्र्वनाथ व ऋषि मंडल यंत्र का अभिषेक व पूजा अर्चना श्रद्धालुओं ने की।