वक़्त के साथ अपनी मानसिकता मे बदलाव लाना ज़रूरी -आचार्य अनुभव सागर महाराज

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सागवाड़ा ।। नगर के जैन बोर्डिंग स्थित वात्सल्य सभागार में ज्ञान अमृत वर्षायोग के लिए यहां विराजित प्रखर वक्ता आचार्य अनुभव सागर महाराज ने शुक्रवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए अपने मंगल प्रवचनो मे कहा है कि समय-समय पर परिस्थितियां बदलती रहती है लेकिन जो इंसान अनुकूल एवं प्रतिकूल समय ने परिस्थितियों का दास बनता है वह उदास तथा नीरस जीवन व्यतीत करने को बाध्य हो जाता है ।परिस्थितियों के दास नहीं बल्कि निर्माता बनना श्रेष्ठ है और जिसमें यह क्षमता होती वह वक्त को अपने अनुकूल बनाने में सक्षम होते है ।ऐसे इंसान कभी भी किसी भी परिस्थितियों में न तो झुकता और न टूटता है वक़्त के अनुसार वे अपनी मानसिकता में बदलाव लाकर अपनी जीवनशैली को और भी खुशहाल बना देते हैं।इससे पूर्व आचार्य श्री ने अपना केशलोच तप साधना को पूर्ण किया जिसे देखकर धर्मसभा में उपस्थित श्रावको ने गुरुदेव की जयकारा का उद्घोष कर उनकी वंदना की ।

इस पर आचार्य श्री ने कहा है कि सिर के बाल उखाड़ना बहुत आसान है अगर कठिन है तो अपने मन की दीवार को हटाना है। मन के भीतर जो राग की दीवार है उसे हटाना जरूरी है ।उन्होंने कहा कि हमारे महान जैन आचार्यो ने बहुत पहले हमें यह ज्ञान दिया है कि द्धेषता से भी ज्यादा खतरनाक राग होता हैजब राग की आग दिलों में जलती हो तो वहा पर द्धेष का होना स्वाभाविक है क्योंकि द्धेषता का मूल कारक ही राग ही होता है ।योग वियोग तथा संयोग से वास्तव में राग – द्धेष से मानव जीवन नर्क के समान बन जाता है क्योंकि जहां राग ज्यादा होता वहीं पर द्धेष के भाव भी चालू हो जाते है।सार्थक जीवन के लिए राग द्वेष का त्याग कर अपनापन के भाव एवं सदव्यवहार से मानव जीवन में प्रेम की अविरल धारा प्रवाहित कर सुगम जीवन का निर्माण किया जा सकता है।उन्होंने कहा है कि जो भक्त अपने अस्तित्व को बरकरार रखते हैं उनका मन भटक सकता है मगर सच्चा शिष्य वही होता है जो अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलकर अपने मूल अस्तित्व की परवाह नहीं करता एवं जिनमें समर्पण और त्याग की भावना प्रबल होती वही आगे चलकर नया मुकाम और महानता को हासिल करता है।उन्होंने कहा है कि हकदार बदल दिए जाते हैं ,किरदार बदल दिए जाते हैं ,यह दुनिया है साहेब अपना मतलब पूरा नहीं हो तो यहां भगवान बदल दिए जाते हैं।आचार्य श्री ने जीवन की गहराई की विवेचना करते हुए कहा कि मैं संसार में हूं अथवा संसार मुझ में है ।यहां शब्द वही है लेकिन अर्थ अलग हो जाते हैं ।जैसे पानी में नाव रह सकती है परंतु नाव में पानी नहीं रह सकता है अगर नाव मे पानी रहता है तो फिर उसका डूबना निश्चित है और यही जीवन की कड़वी सच्चाई है। जिसे समझना होगा। आचार्य श्री के प्रवचन से पूर्व संघस्त मुनि अनुचरणसागर महाराज ने भी धर्म सभा को संबोधित किया।प्रारंभ में मंगलाचरण महिला महासभा की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती प्रेरणा शाह ने प्रस्तुत किया वहीं पर पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का लाभ मोडासा गुजरात से धर्म सभा में उपस्थित हुए मेहता चंदूलाल रायचंद परिवार ने प्राप्त कर गुरुदेव आचार्य अनुभव सागर महाराज का आशीष ग्रहण किया।धर्म सभा का संचालन चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष अश्विन बोबडा ने किया । इस अवसर पर सभा के अंत में समाज के पूर्व ट्रस्टी एवं वरिष्ठ समाजसेवी पवन कुमार गोवाडिया ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि आगामी दिनों में गुरुदेव की प्रेरणा से आचार्य शांति सागर महाराज छाणी की छोटी नसियाजी पर स्थित समाधि स्थल का बहुत ही जल्दी उद्धार किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है।उन्होंने बताया कि चातुर्मास का मंगल कलश स्थापना आचार्य श्री के सानिध्य में

​ 25 को होगी वही पर आज 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर भव्य गुरुभक्ति के कार्यक्रम यहां आयोजित होंगे ।इसी के साथ युगश्रेष्ठ आचार्य रणयसागर महाराज की समाधि के बाद उनके सागवाड़ा जन्म स्थान पर पहली बार जन्म जयंति पर आचार्य श्री को पुष्पांजलि अर्पित कर उनका स्मरण किया जाएगा।

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